शीर्षक - मोहित और उसके साथी
आज इस लॉक डाउन में अनायास ही मेरे विद्यालय के दूसरी कक्षा के छात्र मोहित और उसके साथियों की याद आ गई । शिक्षक बनने के उपरांत विद्यालय में पहला दिन था बच्चों की उपस्थिति लगाने के उपरांत बच्चों से मैंने खूब बातें की । बातचीत के दौरान विद्यालय के बहुत से हालातों की जानकारी बच्चों के माध्यम से मिली, इसी क्रम में यह बात भी पता चला कि मोहित और उसके दो और मित्र बजरंगी और संदीप प्रतिदिन विद्यालय नहीं आते है ।मैंने इसकी वजह पता किया तो पता चला कि वह मुंशी गुरुजी से डरते है, कि वह आयेगे तो उन्हें वह मारेंगे ।मैंने एक योजना बनाई मैंने गुरुजी से बातचीत की और मोहित और उसके साथियों को उसके घर से बाल संसद के सदस्यों द्वारा बुलवाया पर वो नहीं आए । विद्यालय की अन्य कार्यों को करते करते तीन दिन और बीत गए पुनः मोहित और उसके साथी बजरंगी और संदीप का ध्यान आया तो मैंने बाल संसद के दो सदस्यों को साथ में लेकर गांव का भ्रमण किया और उन छात्रों के घर पर भी गया , वहां उन बच्चों के अभिभावक खुश हुए और अगले दिन उन्हें विद्यालय आने का आश्वासन दिए । फिर क्या था नए वाले गुरुजी के नाम पर मोहित के पापा मोहित और उसके मित्रों को लेकर विद्यालय आए। योजना के अनुसार हम दोनों शिक्षक मोहित ,बजरंगी और संदीप से बहुत ही प्यार से बातचीत की और उनसे विद्यालय में विगत कुछ दिनों में हुए नए कार्यो से अवगत कराएं मैंने उनसे कहा देखो मोहित ,बजरंगी और संदीप हम शिक्षक और विद्यालय के सभी बच्चे विभिन्न प्रकार के सुंदर चित्र बनाकर एक खाली तेल के टीन वाले डब्बे पर चिपका कर एक कूड़ेदान का निर्माण किए है, अब सभी अपने फटे कागज या विद्यालय के कूड़े को इस कूड़ेदान में डालते हैं और जब से में आया हूं बहुत सारे कार्यों को करने की सोचा हूं ,जिसमे तुम लोगों की भी भागेदारी जरूरी है,इसके अलावा अब किसी बच्चे की पिटाई भी नहीं हो रही है। मैंने सभी बच्चों से वर्ग कच्छ में ही पूछा -- क्या किसी की पिटाई होती है ? सभी बच्चे ने एक स्वर में कहा ,नहीं ।मोहित और उसके साथी प्रतिदिन विद्यालय आने के लिए वर्ग कक्ष में ही वादा किए और अपनी खुशी जाहिर की मैंने सभी बच्चों से मोहित और उसके साथियों के लिए जोरदार तालियां बजवाई और इस दौरान मोहित के पिता भी खुश हुए कुछ दिनों बाद अगले बाल संसद के पुनर्गठन में मोहित बाल संसद का सक्रिय सदस्य बना और वह और उसके साथी बजरंगी और संदीप विद्यालय में अनुपस्थित भी नहीं हुए ।
सैयद जाबिर हुसैन
शिक्षक
आज इस लॉक डाउन में अनायास ही मेरे विद्यालय के दूसरी कक्षा के छात्र मोहित और उसके साथियों की याद आ गई । शिक्षक बनने के उपरांत विद्यालय में पहला दिन था बच्चों की उपस्थिति लगाने के उपरांत बच्चों से मैंने खूब बातें की । बातचीत के दौरान विद्यालय के बहुत से हालातों की जानकारी बच्चों के माध्यम से मिली, इसी क्रम में यह बात भी पता चला कि मोहित और उसके दो और मित्र बजरंगी और संदीप प्रतिदिन विद्यालय नहीं आते है ।मैंने इसकी वजह पता किया तो पता चला कि वह मुंशी गुरुजी से डरते है, कि वह आयेगे तो उन्हें वह मारेंगे ।मैंने एक योजना बनाई मैंने गुरुजी से बातचीत की और मोहित और उसके साथियों को उसके घर से बाल संसद के सदस्यों द्वारा बुलवाया पर वो नहीं आए । विद्यालय की अन्य कार्यों को करते करते तीन दिन और बीत गए पुनः मोहित और उसके साथी बजरंगी और संदीप का ध्यान आया तो मैंने बाल संसद के दो सदस्यों को साथ में लेकर गांव का भ्रमण किया और उन छात्रों के घर पर भी गया , वहां उन बच्चों के अभिभावक खुश हुए और अगले दिन उन्हें विद्यालय आने का आश्वासन दिए । फिर क्या था नए वाले गुरुजी के नाम पर मोहित के पापा मोहित और उसके मित्रों को लेकर विद्यालय आए। योजना के अनुसार हम दोनों शिक्षक मोहित ,बजरंगी और संदीप से बहुत ही प्यार से बातचीत की और उनसे विद्यालय में विगत कुछ दिनों में हुए नए कार्यो से अवगत कराएं मैंने उनसे कहा देखो मोहित ,बजरंगी और संदीप हम शिक्षक और विद्यालय के सभी बच्चे विभिन्न प्रकार के सुंदर चित्र बनाकर एक खाली तेल के टीन वाले डब्बे पर चिपका कर एक कूड़ेदान का निर्माण किए है, अब सभी अपने फटे कागज या विद्यालय के कूड़े को इस कूड़ेदान में डालते हैं और जब से में आया हूं बहुत सारे कार्यों को करने की सोचा हूं ,जिसमे तुम लोगों की भी भागेदारी जरूरी है,इसके अलावा अब किसी बच्चे की पिटाई भी नहीं हो रही है। मैंने सभी बच्चों से वर्ग कच्छ में ही पूछा -- क्या किसी की पिटाई होती है ? सभी बच्चे ने एक स्वर में कहा ,नहीं ।मोहित और उसके साथी प्रतिदिन विद्यालय आने के लिए वर्ग कक्ष में ही वादा किए और अपनी खुशी जाहिर की मैंने सभी बच्चों से मोहित और उसके साथियों के लिए जोरदार तालियां बजवाई और इस दौरान मोहित के पिता भी खुश हुए कुछ दिनों बाद अगले बाल संसद के पुनर्गठन में मोहित बाल संसद का सक्रिय सदस्य बना और वह और उसके साथी बजरंगी और संदीप विद्यालय में अनुपस्थित भी नहीं हुए ।
सैयद जाबिर हुसैन
शिक्षक
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