"भाई साहब पेपर दीजियेगा हवा झेलना है ।"यह पहली बार किसी ने इस तरह से कहा ,अक्सर लोग पेपर पढ़ने के लिए मांगते हैं ,हवा करने के लिए............। मैंने सोचा भी न था ।
बस में भीड़ काफी थी , गर्मी भी उतनी हीं । मैं एक हाथ से पसीना पोछते हुए दुसरे हाथ से पेपर पकड़ा दिया । सोचा था बस में बैठने के बाद उस पेपर को पढुगा ,परन्तु आज ऐसा नहीं हुआ सीट तो मिल गई परंतु पेपर पढ़ने का स्वाद नहीं मिला ।
यह सोचता रहा कि हद है उसने पेपर हवा करने के लिए मांग लिया , मैंने अपने आप को देखा , नहाया धोया अच्छा ही लग रहा हू ,फिर भी ऐसा क्या दिखा मुझमें ।
मेरा बस स्टाप आ चुका था ।अब मैं उतरने वाला था अब तक पेपर नहीं दिया उसने मन में सोचते हुए खड़ा हुआ । मैं देख कर स्तब्ध रह गया ,उस शख्स के बगल में बैठी उस मां को जो अपने नवजात को पेपर से हवा कर रही थीं ।मैं नि :शब्द होकर चुपचाप बस से उतर गया ,और अपने गंतव्य की ओर चला गया ।
सैयद जाबिर हुसैन
शिक्षक
7250581901
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