विद्यालय में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के आगमन के बाद सभी शिक्षक चौकन्ना हो गए। हड़बड़ का माहौल हो गया ,BEO साहब आ गए ,BEO साहब आ गए :::शिक्षकों के बीच में सुगबुगाहट मनों हलचल में बदल गई हो।मुझे अपने गुरु की एक बात ,जो उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान कही थी सदैव याद रहता है कि" विद्यालय जांच के क्रम में अगर कोई पदाधिकारी आता है तो वह हमारे बेहतरी की ही बात करता है इसलिए हमें उनके आगमन पर हतोत्साहित न होकर उत्साहित होना चाहिए एवं मार्गदर्शन कि उम्मीद करना चाहिए ।"
मुझे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के स्वभाव के बारे में पता था,वह बहुत ही प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। मैंने सभी शिक्षकों को शांत रहने के लिए कहा ,मैं जानता था कि वो प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बी शांत स्वभाव के व्यक्तित्व हैं वह अनुशासन को ज्यादा से ज्यादा पसंद करते हैं। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए अपने शिक्षक साथियों को अपना कार्य यथावत करने को कहा ।उस समय मध्याह्न का समय था तथा बीईओ साहब सीधे विद्यालय के कार्यालय में आए, आगमन के उपरांत ही अभिवादन के साथ वह कार्यालय में अपना स्थान ग्रहण किए उनको विद्यालय की विधि व्यवस्था अच्छी लगी उनके चेहरे से यह बात पता चल रही थी। उनके पास समय बहुत कम था उन्हें नजदीक के कई विद्यालय में भी जाना था इसलिए वह हमारे कहने पर भी मध्याह्न भोजन नहीं चख पाए। नए सत्र का प्रारंभ था इसलिए वह ज्यादा कुछ बच्चों की उपस्थिति पर भी नहीं बोले। वह हम सभी शिक्षकों से एक प्रश्न पूछें वह यह था कि अगर, नए बच्चे नामांकित होने के उपरांत उन्हें वर्ग कक्ष में या विद्यालय में नया-नया आने में अच्छा नहीं लगता होगा इसके लिए आप लोग क्या करते हैं? हमारे सामने यह प्रश्न कौतूहल भरा अवश्य था, परंतु कठिन कदापि नहीं था। क्योंकि हमारा विद्यालय नवाचार के लिए अपने संकुल में प्रसिद्ध था। झट से विद्यालय के कई शिक्षकों की तरफ से मैंने प्रश्न का जवाब देना शुरू किया मैंने कहा कि विद्यालय के नए नामांकित बच्चों के लिए हम मुख्य रूप से तीन बातों का ख्याल रखते हैं जिसमें पहली बात नए बच्चों का स्वागत किया जाता है वह स्वागत वर्ग कक्ष में ताली बजाकर या फूलों की माला अगर हो तो ठीक है अन्यथा कागज की भी माला पहनाकर किया जाता है यह कार्य हम चेतना सत्र में भी करते हैं वह ऐसे की सभी नए नामांकित बच्चों को आगे करके सभी बच्चों द्वारा उनसे कतार बद्ध बच्चों के सामने उनके स्वयं द्वारा परिचय दिलवाकर और विद्यालय के समस्त बच्चों द्वारा ताली बजाकर आकर्षित और स्वागत का भाव दर्शाया जाता है ।
दूसरी चीज की नए नामांकित बच्चों के सर पर हाथ फेर कर उनके साथ अपनापन होने का एहसास कराया जाता है ताकि उन्हें विद्यालय में भी एक अभिभावक की अनुभूति हो, और वह विद्यालय के साथ-साथ वर्ग कक्ष एवं अध्ययन से जुड़ सकें।
तीसरी चीज हम सभी शिक्षक ध्यान रखते हैं कि वैसे विद्यार्थियों को वर्ग कक्ष में एक खास किस्म की स्वतंत्रता दी जाती है जिससे छात्र-छात्राओं को घुलने मिलने का भरपूर मौका मिल सके। ।
यह जवाब सुनते ही वो साहब मन ही मन प्रफुल्लित हुए एवं हम लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए नजदीक के विद्यालय की तरफ प्रस्थान कर गए ।।
सैयद जाबिर हुसैन
शिक्षक